Best 2 (Two) Line Love Shayari in Hindi
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2 Two Line Shayari in Hindi :
* कीमती चीज़े मुझे बहुत पसंद है,
इसका सबसे बड़ा सबूत तुम हो |
* तोड़ कर जोड़ लो चाहे हर चीज़ दुनिया की,
सबकी मरम्मत मुमकिन है ऐतबार के सिवा।
* मेरी कोशिश हमेशा नाकाम रही,
पहले तुझे पाने की, अब तुझे भुलाने की |
* तेरे बाद हमने दिल का दरवाजा खोला ही नहीं,
चाँद बहुत आए इस वीरान दिल को सजाने के लिए |
* रिश्तें तोड़ने तो नहीं चाहिए लेकिन
जहाँ कद्र न हो वहाँ निभाने भी नहीं चाहिए |
* तेरा ख़याल तेरी तलब और तेरी आरज़ू,
इक भीड़ सी लगी है मेरे दिल के शहर में |
* अपनों को भी बताये नहीं जाते,
जख्म दिल के दिखाये नहीं जाते |
* दर्द को भी दर्द हुआ दिल का जख्म देखकर,
जिसने ये दिल का दर्द दिया सिर्फ वही था बेखबर |
* दिल लेके मुफ्त कहते हैं कुछ काम का नहीं,
उल्टी शिकायतें हुईं अहसान तो गया।
* चलो दिल की अदला-बदली कर लें,
तड़प क्या होती है समझ जाओगे।
* इश्तेहार दे दो कि ये दिल खाली है,
वो जो आया था किरायेदार निकला।
* किसी से इश्क़ उतना ही कीजिये,
दिल टूटने पर उसे जोड़ा जा सके |
* सबको पता है इश्क़ में अक्सर दिल टूटता है,
आशिक इश्क़ करने से पहले क्यों नहीं सम्भलता है |
* दिल तोड़ते है, अरमानों का कत्ल करते हैं,
कोई तो बता दे इन पर मुक़दमा क्यों नहीं होता |
* टूटे हुए दिल का कोई खरीददार नही होता,
एक बार दिल टूट जाए तो फिर प्यार नहीं होता |
* ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र-ओ-करार,
बेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी।
* मुमकिन अगर हो सके तो वापस कर दो,
बिना दिल के अब हमारा दिल नहीं लगता।
* खेलना अच्छा नहीं किसी के नाज़ुक दिल से,
तुम जाओगे जब कोई खेलेगा तुम्हारे दिल से।
* पास आ जरा दिल की बात बताऊँ तुझको,
कैसे धड़कता है दिल आवाज़ सुनाऊं तुझको।
* आकर तू देख ले दिल पे लिखा है नाम तेरा,
अगर कहे तो दिल चीर के दिखाऊ तुझको।
* याद हैं मुझे आज भी उसके आखिरी अल्फ़ाज़
जी सको तो जी लेना वरना मर जाओ तो बेहतर है |
* जा बेवफा जा मुझे प्यार नहीं करना
तन्हा ही जिलेंगे जब है तन्हा मरना |
* जितना जलाया है तुमने प्यार में मुझको,
दिल तो करता है कि मैं भी जलाऊं तुझको।
* अजनबी होता तो ऐसा कर भी लेता शायद,
मगर तू तो अपना है कैसे सताऊं तुझको।
* कुछ ठोकरों के बाद नज़ाक़त आ गई मुझ में,
अब दिल के मशवरों पे मैं भरोसा नहीं करता।
* कभी उनके नाम के पहले हर बार आते थे
पर अब आलम ये हैं कि उनके सपनो में भी नहीं आते |
* अंदर से तो कब के मर चुके है हम,
ए मौत तू भी आजा लोग सबूत मांगते है |
* जब कोई ख्वाब अधुरा रह जाते हैं
तब दिल के दर्द आंसु बनकर बाहर आते हैं |
* कितना नादान है ये दिल कैसे समझाऊ
तू जिसे खोना नहीं चाहता हो तेरा होना नहीं चाहता |
* इन दिनों दिल अपना सख्त बे-आराम रहता है,
इसी हालत में लेकर सुबह से शाम रहता है।
* हमने इलाजे-ज़ख़्मे-दिल तो ढूँढ़ लिया, लेकिन
गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तो लगता है |
* उन्हो ने अपने लबो से लगाया और छोड़ दिया
वे बोले इतना जहर काफी है तेरी मौत के लिए |
* एक ज़ख्म नही सारा वजूद ही ज़ख्मी है
दर्द भी हैरान है कि उठूँ तो कहाँ से उठूँ |
* हमें दर्द के अंगारों पर चलने दो खामोश यूँ ही
ज़ख्मों ने ज़ुबाँ खोली तो कितना कुछ कह जाएंगे |
* वो शख्स मेरे हर किस्से कहानी में आया
जो मेरा हिस्सा होकर भी मेरे हिस्से ना आया |
* माना तुम लफ़्हज़ों के बादशाह हो
पर हम भी ख़ामोशियों पर राज़ करते हैं |
* आँसू वो खामोश दुआएँ है,
जो सिर्फ रब्ब ही सुन सकता है |
* भुला देंगे हम अपना गम सारा
मिला दे रब जो हमको तुमसे दोबारा |
* कुछ तो शराफत सीख ले ऐ मोहबत, शराब से
बोतल पे कम से कम लिखा तो है कि “मै जानलेवा हूँ |
* कोशिश के बाद भी जो मुकम्मल ना हो सके
तेरा नाम भी उन्ही ख्वाहिशों में शामिल है |
* वो मेरा होकर भी मुझसे जुदा सा रहा
क्या कोई मुझसा भी जीत के हारा होगा |
* बर्बादी का दोष दुश्मनो को देते रहे
दोस्तो को भी परखा होता तो अच्छा होता |
* दो शब्दो मे सिमटी है मेरी मोहब्बत की दास्तान
उसे टूट कर चाहा और चाह कर टूट गये |
* हमने भी कभी चाहा था एक ऐसे शख्स को
जो आइने से भी नाज़ुक था मगर था पत्थर का |
* ये शायरी की महफ़िल बनी है,आशिकों के लिये
बेवफाओं की क्या औकात, जो शब्दों को तोल सकें |
* हिज्र के आँचल में ही काँटे कुछ कम निकले ,
वरना हमने तो पाँवों को जख्म खाने की आदत सिखा डाली |
* वो बोली तुम मेरी गली में क्यु नहीं आते
मेने कहा पागल रोजाना सुसराल जाना ठीक नहीं है |
* माना की खुद चल कर आये हैं तेरे दर पर ऐ मोहबत
मगर दर्द दर्द और सिर्फ दर्द ये कहाँ की मेहमान नवाजी है |
* उसके जाने के बाद भी अकेला नहीं हूँ मैं
बेबसी उदासी इंतज़ार ना जाने क्या क्या है मेरे पास |
* याद हैं मुझे आज भी उसके आखिरी अल्फ़ाज़
जी सको तो जी लेना वरना मर जाओ तो बेहतर है |
* जा बेवफा जा मुझे प्यार नहीं करना
तन्हा ही जिलेंगे जब है तन्हा मरना |
* हमने इलाजे-ज़ख़्मे-दिल तो ढूँढ़ लिया, लेकिन
गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तो लगता है |
* उन्हो ने अपने लबो से लगाया और छोड़ दिया
वे बोले इतना जहर काफी है तेरी मौत के लिए |
* एक ज़ख्म नही सारा वजूद ही ज़ख्मी है
दर्द भी हैरान है कि उठूँ तो कहाँ से उठूँ |
* हमें दर्द के अंगारों पर चलने दो खामोश यूँ ही
ज़ख्मों ने ज़ुबाँ खोली तो कितना कुछ कह जाएंगे |
* जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं
* कद बढ़ा नहीं करते, ऐड़ियां उठाने से
ऊंचाईया तो मिलती हैं, सर झुकाने से।
* दो शब्द तसल्ली के नहीं मिलते इस शहर में,
लोग दिल में भी दिमाग लिए घूमते हैं।
* बे-फिजूली की जिंदगी का सिल-सिला ख़त्म,
जिस तरह की दुनिया उस तरह के हम।
* हम उस तकदीर के सबसे पसंदीदा खिलौना हैं,
वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए।
* जिन जख्मो से खून नहीं निकलता समझ लेना
वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है।
* बहुत आसान है इश्क़ में हार के खुदखुशी कर लेना
कितना मुश्किल है यहा जीना ये हमसे भी पूछ लेना
* याद रखना भी बहुत हिम्मत का काम है,
क्योंकि किसी को भुला देना आजकल बहुत आम है
* आज इतना जहर पिला दो कि
सांस तक रुक जाए मेरी
सुना है कि सांस रुक जाए तो
रूठे हुये भी देखने आते है |
* फिजूल हैं सारी दलीलें और,
गवाह दीवानों की वकालत में,
सुकून का कानून ही नही होता,
इश्क की अदालत में |
* मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर तेरा क्या भरोसा है चारा-गर
ये तेरी नवाज़िश-ए-मुख़्तसर मिरा दर्द और बढ़ा न दे
* जब करवट बदलते हुए तुम्हारी याद आती है,
उस वक्त मोहब्बत हमे खूब तड़पाती है
* क्या हुआ,जो हम लिपट गए तुझसे
तुम्हें इज़ाज़त है बदला तुम भी ले लो
* किस हक़ से मांगू अपने हिस्से का वक्त तुमसे
क्यूंकि ना ये मेरा है और ना ही तुम मेरे हो |
* दब गई थी नींद कहीं करवटों के बीच
दर पर खड़े रहे कुछ ख्वाब रात भर
* एहसासों की नमी बेहद ज़रूरी है हर रिश्ते में
रेत भी सूखी हो तो हाथों से फिसल जाती है |
* इक दिल ने इक दिल को दिल ही दिल में प्यार की,
जब दिल ने निगाहों से इजहार किया
तो दिल ने पलके झुका दी |
* मेरें जख्मों पर उसने भी मरहम लगाया,
ये कहकर कि जल्दी से ठीक हो जाओ,
अभी तोऔर भी जख्म देने बाकि है |
* जिस्म के घाव तो भर ही जायेंगे एक दिन
खेरियत उनकी पूछ ए-दोस्त,
जिनके दिल पर वार हुआ है |
* मुझे एक ने बोला कि,
90% लड़कियाँ धोखे बाज होती हैं ,
तो मैने कहा सुन बे ढक्कन,
बचे हुये 10% मे मेरी वाली आती है |
* कितना अजीब शौक पाला है,
दर्द भरा अहसास लिखने का,
लिखू तो लोग परेशान,
न लिखू तो दिल परेशान |
* आज इतना जहर पिला दो कि,
सांस तक रुक जाए मेरी,
सुना है कि सांस रुक जाए,
तो रूठे हुये भी देखने आते है |
* देख तेरा दिया हुआ गुलाब कैसा रँग लाया है,
जो सज न सका तेरी डोली में,
आज मेरे जनाजे पे काम आया है |
* मुझे रुलाकर सोना तेरी आदत हो गई है,
जिस दिन मेरी नींद न खुली,
उस दिन उन्हें नींद से नफरत हो जायेगी |
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